अपनी गरीमा को बनाये रख।
तू आन है तू शान है,
घर की तू लक्ष्मी है,
तुझ से ही पुरूष की पहचान है
अपने दैवीय गुणों को संजोए रख।
फैशन की अधी दौड़ में बहकर
नई अवधारणा को न जन्म दे।
तेरी सभ्यता, संस्कृति का ख्याल रख।
तू दुर्गा, काली, चामुण्डा है।
तू ही तो अरुंधती है,
देवों को बाल रूप में पालने वाली।
अपने दूध की लाज तो रख।
तू वीर शिवा, लक्ष्मी बाई जैसे
वीरों को जन्म देने वाली,
भारत के भाल को ऊँचा रखने की परम्परा भी तो रख।
जाबाला,गार्गी, मैत्रेयी भी तो चाहिए
हे मातृशक्ति अपनी संतानों को
मर्यादाओं से ओतप्रोत तो रख।
हे नारी तू ही है कल्याणी
तुझमें ही समाई जीजाबाई,
अहिल्या बाई, कैकेयी के मातृत्व की कहानी।
याद तू वो पन्ना बाई का त्याग भी रख।
हे नव सृजनशीला
नव जीवन की आधारशिला
धैर्य को अपना धर्म रख।
मानव कल्याण को चरम पर रख।।
🙏सम्पूर्ण मातृशक्ति को सादर समर्पित🙏
✍️सूरज शर्मा 'मास्टर जी'
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें